कल रात फिर कुत्ते के नाम

कल रात फिर कुत्ते के नाम । जग गया उसके चलते और फिर नींद नहीं । हम दोनों सठिया गए हैं । मेरा मतलब मैं और कुत्ता । जनवरी २००८ की पैदाइश है इसकी । तो quantum physics के term में तो बूढ़ा हो ही गया 😂 .

कभी कभी बग़ैर ज़रूरत के भूँकता है । रात को मेरा ख़्याल है पड़ोसी जग जाते होंगे । हालाँकि कभी कोई शिकायत नहीं सुनी किसी भी पड़ोसी से । 

अमेरिका की एक चीज़ बड़ी अच्छी है । जब तक complaint आपको sue करने की सीमा तक न पहुँचे , कोई कुछ नहीं बोलता । कभी पड़ोसियों के बारे में लिखूँगा । ४-५ परिवार ( आधुनिक अमेरिकन परिवार , आप समझ गए ! ) हैं मेरे पड़ोसी । सब की बात करें तो यहाँ मेरे इर्द गिर्द ऐसा मसाला है कि शरत चंद्र , अज्ञेय ( Ageyay) , गुलशन नंदा और भारती सबको किताब लिखने का theme मिल जाये। 

मेरे यहाँ रात को क्या , दिन में भी शांति ही है । रात को तो अगर ambulance active नहीं है और कभी कभी trauma के चलते helicopter तो सन्नाटा होता है । 

अब दुनियाँ भी तरक़्क़ी कर गई । पहले आधी रात को हिंदुस्तान से फ़ोन आता था और बात इसी से शुरू हो कि आपके यहाँ कितना बजा है ? अच्छा रात है ? हम समझे कि सबेरा हो रहा होगा ! अच्छा सोइये , सोइये ! जरा वो कमवा याद है न । 
और फिर शुरू , आधा घंटा , ४० मिनट तो कोई बात ही नहीं । सोइये कितना सोते हैं !

अब वैसे कहाँ कितना बज रहा है , इसका ज्ञान देशों की राजधानी जैसा सरल हो गया । वैसे तो आपको शर्मिंदा न करूँ , आपको मालूम Fiji की राजधानी? 
और राजधानी पर पारंगत हैं तो बताइए Timbakatu
( Timbuktu ) किस देश में है !😄 हा हा ! 

फ़ोन पर ही रहते हैं । ये Wapp के चलते तो भावनायों का sexy pursuit खतम हो गया । इतना आसान है message करना और इतना आसान तुरत message देखना कि इंतज़ार की घड़ियों में जो सम्भावनायों का असर भींगता था , खतम हो गया !

कितने पैसे बर्बाद किए फ़ोन पर ! आज retirement का मुँहताज नहीं होना पड़ता । 

अच्छा , वो समय याद है जब लगता नहीं था फ़ोन दिन भर की कोशिशों के बावजूद !
और फिर Duval जैसे brainy लोग फ़ोन करें और एक घंटी ( ring ) के बाद बंद । क्यों पैसा खर्च करेंगे क्योंकि उधर वाला फ़ोन करेगा अब ( सोच कर कि कट गया ) , क्या ज़रूरी बात हो ! 
और उधर वाले चुक्को मुक्को फ़ोन को ताकते होते ! इंतज़ार में कि वो फ़ोन करेगा ! 
बताइए , ये Cat और mouse game ज़िंदगी का अपार सुख था । Wapp ने सब छीन लिया ! 

अब कितना बकवास करूँ सबेरे सबेरे । वैसे लिख तो रहा हूँ तीन बजे रात को । ह हा ! मुझे मालूम है मेरा ३ बजे रात हिंदुस्तान का डेढ़ बजे दिन होगा !
फ़ोन करता हूँ किसी को ! अब ख़त तो लिखे नहीं जाते , Wapp की दुनियाँ ने सब बहा दिया । अब दिल उगलनेवाला ख़त नहीं होता , न खून से लिखा ख़त न स्याही से । उँगलियाँ अभी भी ज़रूरत में हैं यही क्या कम है ! 

इसके पहले कि राहत इंदौरी का एक शेर याद आ रहा , सुना , एक Chat GPT आया है ( किसी हिंदुस्तान में शासन करने वाले अंग्रेज का नाम लगता है ।) ये आपकी बात को poetic बना देगा । अब मेरे किस काम का ! मैं तो दिल उछाल के फेंक चुका ! 

" फूँक दूँगा मैं किसी रोज़ दिल की दुनियाँ ,
    ये तेरा ख़त तो नहीं कि जला न सकूँ  !"

सबेरा हो चला , कॉफ़ी की आस में , नमस्कार, RC

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